हवा महल किसने बनवाया है – नमस्कार दोस्तों साल था 1799 महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने एक दिन राज्य के सबसे मशहूर वास्तुकार लाल चंद उस्ताद को अपने महल में बुलाया और उनके सामने एक ऐसा प्रस्ताव रखा जिसे सुनकर लाल चंद उस्ताद सोच में पड़ गए
तो चलिए जानते हैं क्या था महाराज का प्रस्ताव और कैसे बना इस प्रस्ताव के कारण जयपुर में हवा महल और इसको बनाने के पीछे क्या थी महाराज की सोच
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारेwebsite insightword.in एक और एक और नए आर्टिकल में। हवा महल, जिसे “पैलेस ऑफ विंड्स” भी कहा जाता है, जयपुर का एक अद्वितीय ऐतिहासिक स्थल है। इसका निर्माण [1799] में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने कराया था। यह पांच मंजिला इमारत, लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बनी हुई है और इसमें 953 छोटी-छोटी खिड़कियां हैं।
आखिर क्यों बनाई गई इतनी खिड़कियां और हवा महल किसने बनवाया है
आखिर क्यों बनाई गई इतनी खिड़कियां और इन खिड़कियों के बनाने के पीछे क्या था महाराज का लॉजिक इसकी बात हम आगे आर्टिकल में करेंगे
हवा महल का डिज़ाइन बहुत ही रहस्यमय और आकर्षक है। इसकी अद्वितीय पाँच-मंजिला इमारत जो ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है, अगर इसे बाहर थोड़ी दूरी से देखें तो मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देती है, जिसमें 953 बेहद खूबसूरत और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार खिड़कियाँ हैं, जिन्हें झरोखा कहते हैं।
अब बात करते हैं इन खिड़कियों के बारे में आखिर क्यों बनाई गई इतनी खिड़कियां और इन खिड़कियों के बनाने के पीछे क्या था लॉजिक
मौजूदा रिकॉर्ड्स की मानें, तो इस संरचना के डिजाइन के पीछे मूल उद्देश्य यह था कि शाही परिवार की महिलाएं, जो बाहर नहीं जा सकती थीं, वे सडकों के समारोह व गलियारों में होने वाली रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियों को यहां से देख सकती थीं। महल की खिड़कियों को बड़ी ही सावधानी के साथ तैयार किया गया था ताकि महिलाएं खिड़की की जाली के पीछे से हर झाकियों का आनंद ले सकें। लेकिन नीचे से देखने वाले इंसान को उन महिलाओं का चेहरा ना दिखे और पर्दा प्रथा काआसानी से पालन हो सके
आखिर किसने बनाया हवामहल का नक्शा
इसी सोच के चलते महाराज ने सबसे मशहूर वास्तुकार लाल चंद उस्ताद को इसके बनाने का काम सौंप दिया. महाराज को लालचंद उस्ताद पर इसलिए भी भरोसा था क्योंकि लालचंद उस्ताज ने पहले भी जयपुर शहर की शिल्प व वास्तु योजना बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
लालचंद उस्ताद ने हवा महल का निर्माण चूने, लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाने का निर्णय लिया और इसके निर्माण का काम शुरू कर दिया जो कुछ ही सालों में बनकर तैयार हो गया
हवा महल का सामने का हिस्सा 953 अद्वितीय नक्काशीदार झरोखों से सजा हुआ है (जिनमे से कुछ लकड़ी से भी बने हैं) और यह हवा महल के पिछले हिस्से से इस मायने में ठीक विपरीत है, क्योंकि हवा महल का पिछला हिस्सा एकदम सादा है। इसकी सांस्कृतिक और शिल्प सम्बन्धी विरासत हिन्दू राजपूत शिल्प कला है।
इस महल को सुबह-सुबह सूर्य की सुनहरी रोशनी में इसे दमकते हुए देखना एक अनूठा एहसास देता है।
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हवा महल किसने बनवाया है
- हवा महल किसने बनवाया है – हवा महल भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक राजसी-महल है। इसे सन 1799 में राजस्थान जयपुर बड़ी चौपड़ पर मेट्रो स्टेशन के पास महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था और इसे किसी ‘राजमुकुट’ की तरह वास्तुकार लाल चंद उस्ताद द्वारा डिजाइन किया गया था।
हवामहल में कितनी खिड़कियां है
- जयपुर के हवा महल में 953 छोटी-छोटी खिड़कियां हैं, जिन्हें झरोखा कहा जाता है. ये खिड़कियां महल की बाहरी दीवारों पर बनी हैं और इन पर जटिल जालीदार काम किया गया है.