Karila dham – मां जानकी का ऐतिहासिक मंदिर जहां नाचने से होती है मनोकामना पूरी मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में स्थित करीला धाम (Karila Dham Ashoknagar) उन गिने-चुने मंदिरों में शामिल है जहां भगवान राम के बिना ही सीता माता की पूजा होती है। करीला धाम में सीता के अलावा लव-कुश और महर्षि वाल्मीकि की मूर्तियां हैं, लेकिन भगवान राम की मूर्ति नहीं है। लव-कुश के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध करीला धाम में रंगपंचमी (Rangpanchami) के मौके पर विशाल मेला लगता है जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं।
भारत का एक ऐसा मंदिर जहां भगवान राम के बिना विराजमान हैं मां जानकी
पूरी दुनिया में अधिकांश मंदिरों में भगवान राम के साथ ही माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की प्रतिमाएं एक साथ विराजमान होती हैं। लेकिन पूरी दुनिया में यह अनोखा मंदिर है जहां पर मां जानकी बिना भगवान राम के विराजमान हैं। उनके साथ लव-कुश और महर्षि वाल्मीकि विराजमान हैं । इन चारों की एक साथ पूजा होती है। यह लव-कुश के जन्म स्थान के रूप में विख्यात है। मान्यता है कि करीला धाम में निसंतान व्यक्ति अपनी मनोकामना लेकर आता है। मनोकामना पूर्ण होने पर मां जानकी के दरबार में राई नृत्य कराता है।
KARILA DHAM: करीला धाम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
प्राचीन मान्यता है कि रामायण काल के दौरान जब भगवान राम ने अयोध्या लौटने के बाद मां सीता को त्याग दिया था तो वे महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रुकी थीं। महर्षि वाल्मीकि का आश्रम इसी करीला पहाड़ी पर स्थित है। यहीं उन्होंने लव-कुश को जन्म भी दिया था। रंगपंचमी के मौके पर पहाड़ी पर स्थित महर्षि वाल्मीकि की गुफा खोली जाती है। इसके दर्शन के लिए ग्रामीण अंचल के साथ-साथ देश के हर कोने से श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर आते हैं।
धार्मिक महत्व : करीला धाम का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यहां मां जानकी की पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तों का विश्वास है कि यहां नृत्य कारने से उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।
करीला धाम में मुख्य आकर्षण :
मां जानकी मंदिर: यह मंदिर करीला धाम का प्रमुख आकर्षण है। यहां मां जानकी की भव्य मूर्ति स्थापित है और यह स्थल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।
नृत्य की परंपरा: माता सीता के इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है। इसके बाद लोग यहां राई नृत्य करवाते हैं। कहा जाता है कि यहां नि:संतान दंपती की झोली माता सीता भर देती हैं। इसके बाद लोगों को यहां राई नृत्य करना होता है।
प्राकृतिक सुंदरता: करीला धाम एक पहाड़ी पर स्थित है यहां की हरियाली और प्राकृतिक वातावरण आने वाले श्रद्धालुओं को शांति और सुकून प्रदान करता है। लोगों का यह भी कहना है कि यहां आने पर उनका मानसिक शांति मिलती है
कैसे पहुंचे मां जानकी के करीला धाम
मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में स्थित करीला धाम तक पहुंचना सरल और सुविधाजनक है। इस पवित्र स्थल तक पहुंचने के लिए विभिन्न परिवहन साधनों का उपयोग कर सकते है। यहां पहुंचने के लिए आपको कुछ प्रमुख मार्गों और साधनों की जानकारी होनी चाहिए। आइए जानते हैं कैसे पहुंचें मां जानकी के करीला धाम:
हवाई मार्ग से : अगर आप हवाई मार्ग के जरिए करीला धाम पहुंचाना चाहते हैं तो निकटतम हवाई अड्डा भोपाल का राजा भोज हवाई अड्डा है, जो लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस के माध्यम से अशोकनगर जिले तक पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग से : करीला धाम का निकटतम रेलवे स्टेशन अशोकनगर रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से करीला धाम लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टेशन से टैक्सी या स्थानीय परिवहन साधनों का उपयोग कर आप आसानी से करीला धाम तक पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से :अशोकनगर जिले के प्रमुख शहरों और करीबी कस्बों से करीला धाम तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। आप बस, टैक्सी या निजी वाहन का उपयोग कर सकते हैं।
मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से करीला धाम की दूरी : अशोकनगर से दूरी: करीला धाम अशोकनगर जिले से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
गुना से दूरी: करीला धाम गुना से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है।
भोपाल से दूरी: करीला धाम भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर है।
यात्रा के सुझाव समय: करीला धाम की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है, वैसे अगर आप बारिश में घूमने का आनंद प्राप्त करना चाहते हैं तो बारिश का मौसम भी यहां आने के लिए ठीक है जब मौसम सुहावना होता है।