Maa Pitambara शक्ति पीठ जहां दर्शन मात्र से रुके हुए काम होते हैं पूरे

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नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका Insight word पर, जहाँ हम आपको भारत की अद्भुत धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों से रूबरू कराते हैं। आज हम आपको लेकर चलेंगे मध्यप्रदेश के दतिया में स्थित माँ पीतांबरा Maa Pitambara शक्ति पीठ जहां दर्शन मात्र से रुके हुए काम होते हैं पूरे धाम, जिसे ‘शक्ति पीठ’ के नाम से भी जाना जाता है। यह धाम शक्ति, साधना और आस्था का प्रतीक है, और यहाँ की कहानी जितनी रहस्यमयी है, उतनी ही चमत्कारी भी।

माँ पीतांबरा का परिचय – माँ पीतांबरा धाम भारत के प्रमुख तांत्रिक स्थलों में से एक है। माना जाता है कि यहाँ की देवी, माँ पीतांबरा, और मां धूमावती माई अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर उन्हें अपार शक्ति और आशीर्वाद प्रदान करती हैं। यह धाम न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि यहाँ तंत्र साधना के लिए साधक भी आते हैं।

Maa Pitambara धाम: जहाँ तंत्र साधना और भक्तिभाव मिलते हैं

माँ पीतांबरा की स्थापना और इतिहास – कहा जाता है कि पीताम्बरा शक्ति पीठ की स्थापना एक प्रसिद्ध संत, जो तांत्रिक विद्या में भी निपुण थे जिन्हें लोग ‘स्वामीजी महाराज’ कहकर पुकारते थे, ने 1935 में दतिया के राजा शत्रुजीत सिंह बुन्देला के सहयोग से की थी। कहा जाता है जहां स्वामी जी महाराज ने मंदिर की स्थापना की कभी इस स्थान पर श्मशान हुआ करता था।

श्री स्वामी महाराज ने बचपन से ही सन्यास ग्रहण कर लिया था। कोई नहीं जानता कि वह कहाँ से आये थे उनका नाम क्या था; न ही उन्होंने इस बात का खुलासा कभी किसी से किया। हालाँकि, वे परिव्राजकाचार्य दंडी स्वामी थे, और एक स्वतंत्र अखण्ड ब्रह्मचारी संत के रूप में दतिया में अधिक समय तक रहे। स्वामी जी महाराज ने माँ पीतांबरा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर इस स्थान को जागृत किया। यह मंदिर लगभग एक दशक पुराना है, और यहाँ आने वाले भक्तों का मानना है कि माँ की कृपा से उनके जीवन की हर समस्या का समाधान हो जाता है।

मंदिर परिसर श्री पीतांबरा पीठ, जिसे बगलामुखी मंदिर भी कहा जाता है, यह मंदिर भारत के प्रमुख तांत्रिक स्थलों में से एक है और यहाँ माँ पीतांबरा की पूजा की जाती है, जो तंत्र साधना में विशेष महत्त्व रखती हैं। मंदिर परिसर में माँ पीतांबरा के अलावा, बगलामुखी देवी की भी मूर्ति स्थापित है, जो दुश्मनों और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं। यहाँ आने वाले भक्त तंत्र और मंत्र की साधना कर देवी से शक्ति प्राप्त करते हैं।

मंदिर परिसर शांत, आध्यात्मिक और दतिया शहर के बीच स्थित है, देखा जाए तो यह मंदिर बीच शहर में होते हुए भी भक्तों को साधना और ध्यान के लिए एक आदर्श वातावरण मिलता है।

माँ पीतांबरा धाम के चमत्कार और ऐतिहासिक महत्व

माँ पीतांबरा, जिन्हें बगलामुखी का स्वरूप माना जाता है, का स्वरूप अत्यंत रक्षात्मक है। माँ पीतांबरा पीठ मंदिर न केवल तांत्रिक साधना के लिए विख्यात है, बल्कि इसके साथ एक ऐतिहासिक घटना भी जुड़ी हुई है। सन् 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया, उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। उस वक्त भारत को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, क्योंकि रूस और मिस्र जैसे मित्र देशों ने भी सहयोग देने से इनकार कर दिया था। इसी संकट के दौरान, एक योगी ने पंडित नेहरू को स्वामी महाराज से मिलने का सुझाव दिया।

पंडित नेहरू तत्काल दतिया पहुंचे और स्वामी महाराज से भेंट की। स्वामी महाराज ने राष्ट्रहित में 51 कुंडीय महायज्ञ करने का प्रस्ताव रखा। यह महायज्ञ देश की रक्षा और चीन से युद्ध में सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया। स्वामी महाराज के निर्देशानुसार, इस महायज्ञ में पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वयं यजमान बने, और सिद्ध पंडितों एवं तांत्रिकों ने यज्ञ में भाग लिया।

यज्ञ के नौंवे दिन जब इसका समापन होने वाला था, तभी पंडित नेहरू को संयुक्त राष्ट्र संघ से यह संदेश प्राप्त हुआ कि चीन ने आक्रमण रोक दिया है। 11वें दिन जब अंतिम आहुति दी गई, उसी समय चीन ने अपनी सेना वापस बुला ली थी। आज भी मंदिर परिसर में वह यज्ञशाला मौजूद है, जहाँ यह ऐतिहासिक यज्ञ संपन्न हुआ था।

इसके अलावा, 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों के दौरान भी यहाँ गुप्त रूप से साधनाएँ और यज्ञ आयोजित किए गए थे, जिससे देश की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। माँ पीतांबरा धाम का यह ऐतिहासिक और चमत्कारी पक्ष इसे अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाता है।

माँ पीतांबरा धाम कैसे पहुंचे

माँ पीतांबरा धाम मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित है। आप ट्रेन, बस या हवाई यात्रा के जरिए यहाँ पहुँच सकते हैं। सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन दतिया है, और यहाँ से मंदिर तक पहुँचने के लिए टैक्सी या ऑटो की सुविधा भी उपलब्ध है।

अगर आप मां पीतांबरा के दर्शन करने जा रहे हैं कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। मंदिर परिसर में शांति बनाए रखें और यहाँ की तांत्रिक साधना के नियमों का पालन करें

तो दोस्तों, माँ पीतांबरा धाम की इस यात्रा में हमने जाना कि कैसे आस्था साधना और शक्ति का संगम यहाँ होता है। अगर आपने अब तक माँ के दर्शन नहीं किए हैं, तो एक बार जरूर इस पवित्र धाम की यात्रा करें और माँ पीतांबरा का आशीर्वाद प्राप्त करें। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो, तो इसे लाइक करें, शेयर करें, और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें।”

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