नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे नए आर्टिकल में। आज हम बात करेंगे स्कूलों में कर्मचारियों की भर्ती से जुड़ी एक बड़ी खबर पर। क्या आप जानते हैं कि अब स्कूलों में आउटसोर्सिंग (Outsourcing) के जरिए कर्मचारी भर्ती किए जाएंगे? इस नई नीति के क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं? चलिए इस पूरे मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।
आउटसोर्सिंग क्या है? (What is Outsourcing?)
सबसे पहले यह समझते हैं कि आउटसोर्सिंग का मतलब क्या है। आउटसोर्सिंग वह प्रक्रिया है जिसमें किसी काम या सेवा को बाहर की कंपनियों या एजेंसियों को सौंपा जाता है। यानी, किसी सरकारी काम को सरकारी कर्मचारियों की बजाय प्राइवेट संस्था के जरिए कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। और जो काम सरकारी कर्मचारी करते हैं वह काम प्राइवेट कर्मचारियों से कराया जाएगा इसके कई फायदे और नुकसान हो सकते हैं यह हम नेक्स्ट आर्टिकल में जानेंगे फिलहाल आज इस खबर की ओर रुख करते
स्कूलों में आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती होंगे तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी
माध्यमिक की तरह अब बेसिक के एडेड स्कूलों में भी तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती आउटसोर्सिंग (Outsourcing) के जरिए होगी। इस बाबत शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा (DGSE) कंचन वर्मा ने इस बाबत समीक्षा के दौरान ये निर्देश भी अधिकारियों को दिए हैं कि कुल सृजित पदों का ब्योरे के साथ शासन से समन्वय कर मामले की पैरवी की जाए।
बेसिक शिक्षा विभाग में 3049 एडेड प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल हैं। इनमें प्रिंसिपल के 570 और शिक्षकों (Teacher) के 2289 पद खाली हैं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के भी लगभग 1000 पद खाली हैं।
पिछले दिनों DGSE की समीक्षा बैठक में यह बात आई कि चतुर्थ और तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग (Outsourcing) के जरिए भर्ती के लिए शासन को पत्र भेजा जा चुका है। DGSE ने कहा कि कुल सृजित पदों के ब्योरे के साथ शासनसे समन्वय स्थापित कर शासनादेश के लिएजरूरी कार्यवाही की जाए।
बैठक में यहबात भी आई कि शिक्षकों और प्रिसिपलों केभी काफी पद खाली हैं लेकिन इनकी भर्ती शिक्षा सेवा चयन आयोग से ही होनी है। नए आयोग के गठन के बाद इन पदों को भरने की प्रक्रिया भी शुरू की जाए।
इस प्रक्रिया के बारे में आपका क्या विचार है
आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मियों की भर्ती एक नई और बड़ी पहल है, लेकिन इसके अपने फायदे और नुकसान दोनों हैं। सरकार और एजेंसियों को चाहिए कि वे इस प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता और सतर्कता से संचालित करें ताकि शिक्षा क्षेत्र को कोई नुकसान न हो।
आपका क्या विचार है इस नए बदलाव पर? कमेंट में हमें जरूर बताएं, और अगर आपको यह वीडियो जानकारीपूर्ण लगी हो, तो लाइक और सब्सक्राइब करना न भूलें।