संविदा और आउटसोर्सिंग का कर्मचारियों का निर्णय आज का यूपी में :- यूपी में संविदा-आउटसोर्सिंग भर्तियों में आरक्षण की तैयारी:उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संविदा और आउटसोर्सिंग भर्तियों में आरक्षण की तैयारी कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि उपचुनाव से पहले सरकार इस संबंध में कोई ऐलान कर सकती है।
संविदा और आउटसोर्सिंग का कर्मचारियों का निर्णय आज का यूपी में : – उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की कई समस्याओं के समाधान की मांग की थी. इनमें वेतन, ईपीएफ़, घायल कर्मचारियों का इलाज, विकलांग कर्मचारियों को मुआवज़ा, मृतक कर्मचारियों के परिवारों को मुआवज़ा, महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश, और मोबाइल व पेट्रोल भत्ता देना शामिल था.
संविदा और आउटसोर्सिंग का कर्मचारियों का निर्णय आज का
संविदा और आउटसोर्सिंग का कर्मचारियों का निर्णय आज का MP में:- मध्य प्रदेश सरकार ने संविदा, आउटसोर्स, और विशेष श्रेणी के मैदानी मार्ग श्रेणी के चालकों को महंगाई भत्ता बढ़ाया था. अब उन्हें 3.21 रुपये प्रति किलोमीटर, परिचालकों को 2.71 रुपये प्रति किलोमीटर, पर्वतीय मार्ग के चालकों को 3.75 रुपये प्रति किलोमीटर, और परिचालकों को 3.19 रुपये प्रति किलोमीटर महंगाई भत्ता मिलेगा.
उत्तर प्रदेश के अंदर संविदा और आउटसोर्सिंग की जो नौकरियां है उन में प्रदेश सरकार आरक्षण की नीति लागू करने की कवायत शुरू कर चुकी है इसलिए आज आपको यह जानना जरूरी है कि नौकरियों में क्या अंतर हैऔर आखिर सरकार इन नौकरियों पर लोगों की भर्ती क्यों करती है इससे विभाग और सरकार को क्या फायदा होता है तो चलिए जानते हैं संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नौकरी में क्या अंतर है और साथ ही जानेंगे इन नौकरियों पर लोगों की भर्ती करने के बाद सरकार और विभाग को क्या-क्या फायदे होते हैं विस्तार के साथ
संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों में आखिर क्या अंतर है
संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों में क्या अंतर है।”
इस अंतर को आप लोगो को जानना इसलिए भी जरुरी हे | इस अंतर को आप लोगो को जानना इसलिए भी जरुरी हे क्योंकि अब अब इन नौकरियों में भी आरक्षण का नियम लागू करने जा रही है
सबसे पहले हम बात करेगे संविदा नोकरी की
संविदा नोकरी : इसमें सरकारी विभाग और कर्मचारी के बीच कॉन्ट्रैक्ट होता है। एक निश्चित सैलरी हर महीने विभाग देता है। इसका विज्ञापन विभाग निकालता है। इन कर्मचारियो कभी भी विभाग द्वारा हटाए जा सकता हैं।
आउटसोर्सिंग नोकरी : इसमें कंपनी या थर्ड पार्टी और विभागों में कॉन्ट्रैक्ट होता है। कंपनी या थर्ड पार्टी सरकारी विभागों को कर्मचारी उपलब्ध कराती है। कभी भी कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया जा सकता है।
अब सबल उठता हे आखिर क्यों होती इस तरह के कर्मचारियों की भर्ती
इन दोनों तरह के कर्मचारियों से सरकार को काफी फायदा होता है। ऐसे कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी की तरह मूल वेतन नहीं देना पड़ता। सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिलती। साथ ही सरकार जब चाहे, कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर सकती है।
सरकार ऐसी भर्तियों को बढ़ावा दे रही है, ताकि उस पर आर्थिक बोझ न बढ़े। इसका अंदाजा हाल ही में नियुक्त कर्मचारियों की संख्या से लगाया जा सकता है। सरकारी विभागों में 4 लाख से ज्यादा संविदा और आउटसोर्सिंग से कर्मचारी रखे गए हैं। सबसे ज्यादा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, नगर विकास विभाग, पंचायतीराज विभाग और ग्राम्य विकास विभाग में कर्मचारी हैं।
तो ये था संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों के बीच का अंतर। आपकी क्या राय है इस मुद्दे पर? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।”